कीरवाला-सेवड़ी 19.5 किलोमीटर नदी के दोनों ओर पाळ की पिचिंग करवाई जाएगी
सुंधामाता व जाविया के खोड़ेश्वर महादेव मंदिर की पहाड़ी क्षेत्र से निकलने वाली सांगी व खारी नदी से अतिवृष्टि और भारी बारिश में उफान आने पर अब दर्जनों गांवों में बाढ़ के हालात नहीं बनेंगे। जल संसाधन विभाग की ओर से कीरवाला-सेवड़ी 19.5 किलोमीटर नदी के दोनों ओर पाळ की पिचिंग करवाई जाएगी। इसके अलावा गेबियन स्ट्रक्चर से नदी में पानी के प्रवाह को धीमा भी किया जाएगा। नदी के प्राकृतिक बहाव को भी दुरुस्त किया जाएगा। जल संसाधन भिाग की ओर से बाढ़ बचाव के तहत 13.16 करोड़ की लागत से यह कार्य करवाए जाएंगे। ऐसे में क्षेत्र के दर्जनों गांवों में बारिश के दौरान बनने वाले बाढ़ के हालात से निजात मिलेगी। अधिकारियों का कहना है कि सांगी नदी पर बाढ़ बचाव कार्य को लेकर राजस्व विभाग की ओर से नदी का सीमांकन हो रहा है। बागोड़ा तहसील क्षेत्र में नदी का सीमांकन हो चुका है। सीमांकन से नदी के प्राकृतिक बहाव का पता कर नदी के बहाव को दुरुस्त किया जाएगा। दरअसल, सुंधामाता व जाविया के खोड़ेश्वर महादेव मंदिर के पहाड़ी क्षेत्र से निकलने वाली सांगी-खारी के बहाव में प्रति किलोमीटर 3 मीटर का ढलान है। अतिवृष्टि के दौरान नदी में उफान आने पर क्षेत्र के दर्जनों गांवों में बाढ़ के हालात बन जाते हंै। नदी के उफान के दौरान नदी के दोनों ओर तट पर तेजी से मिट्टी का कटाव होता है। खेत के खेत नदी में तब्दील हो जाते हैं। अब विभाग की ओर से नदी के प्राकृतिक बहाव को दुरुस्त किया जाएगा।
कीरवाला से सेवड़ी तक होगा कार्य
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाढ़ बचाव के तहत कीरवाला से सेवड़ी तक 19.5 किलोमीटर तक नदी की पाळ की पिचिंग होगी। पाळ पर मिट्टी डालकर पिचिंग होगी। इसके अलावा नदी के प्राकृतिक बहाव में आए अवरोधों को हटाकर प्राकृतिक बहाव दुरुस्त किया जाएगा। साथ ही 8 स्थानों पर स्पर/ग्रोएन से नदी के पाळ को मजबूत कर पानी का प्रवाह नदी के भीतर रखने का कार्य होगा। इसके अलावा दो स्थानों पर गेबीयन स्ट्रक्चर बनाकर पानी की गति को धीमा किया जाएगा। यहां सब सरफेस बेरियर पहले बने हुए है। ऐसे में बरसात के पानी से भूमिगत जलस्तर रिचार्ज होगा।
दर्जनों गांवों में दो बार बन चुके हैं बाढ़ के हालात
2015 व 2017 में अतिवृष्टि के दौरान सांगी व खारी नदी में आए उफान के चलते क्षेत्र के दर्जनों गांवों में दो बार बाढ़ के हालात बन गए थे। जल संसाधन विभाग की ओर से 2018 में करवाए सर्वे के अनुसार प्रति किलोमीटर 3 मीटर का ढलान है। जाविया के खोड़ेश्वर महादेव मंदिर से डूंगरवा तक 74 किलोमीटर में करीब 224 मीटर का ढलान है। ऐसे में नदी में पानी का वेग इतना तेज रहता है कि नदी के दोनों ओर तट पर तेजी से मिट्टी का कटाव होता है। पानी के खेतों में घुसने से खेत नदी में तब्दील हो जाते हैं। जिससे क्षेत्र के कीरवाला, सांवलावास, नोहरा, दांतीवास, डूंगरवा, वियो को गोलिया, पूनासा व फागोतरा गांव के बाढ़ के हालात बन जाते हैं। इसको लेकर दर्जनों गांवों के ग्रामीणों ने उपखण्ड कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन किया था।
कीरवाला से सेवड़ी तक होगा कार्य
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाढ़ बचाव के तहत कीरवाला से सेवड़ी तक 19.5 किलोमीटर तक नदी की पाळ की पिचिंग होगी। पाळ पर मिट्टी डालकर पिचिंग होगी। इसके अलावा नदी के प्राकृतिक बहाव में आए अवरोधों को हटाकर प्राकृतिक बहाव दुरुस्त किया जाएगा। साथ ही 8 स्थानों पर स्पर/ग्रोएन से नदी के पाळ को मजबूत कर पानी का प्रवाह नदी के भीतर रखने का कार्य होगा। इसके अलावा दो स्थानों पर गेबीयन स्ट्रक्चर बनाकर पानी की गति को धीमा किया जाएगा। यहां सब सरफेस बेरियर पहले बने हुए है। ऐसे में बरसात के पानी से भूमिगत जलस्तर रिचार्ज होगा।
दर्जनों गांवों में दो बार बन चुके हैं बाढ़ के हालात
2015 व 2017 में अतिवृष्टि के दौरान सांगी व खारी नदी में आए उफान के चलते क्षेत्र के दर्जनों गांवों में दो बार बाढ़ के हालात बन गए थे। जल संसाधन विभाग की ओर से 2018 में करवाए सर्वे के अनुसार प्रति किलोमीटर 3 मीटर का ढलान है। जाविया के खोड़ेश्वर महादेव मंदिर से डूंगरवा तक 74 किलोमीटर में करीब 224 मीटर का ढलान है। ऐसे में नदी में पानी का वेग इतना तेज रहता है कि नदी के दोनों ओर तट पर तेजी से मिट्टी का कटाव होता है। पानी के खेतों में घुसने से खेत नदी में तब्दील हो जाते हैं। जिससे क्षेत्र के कीरवाला, सांवलावास, नोहरा, दांतीवास, डूंगरवा, वियो को गोलिया, पूनासा व फागोतरा गांव के बाढ़ के हालात बन जाते हैं। इसको लेकर दर्जनों गांवों के ग्रामीणों ने उपखण्ड कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन किया था।
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