चण्डीनाथ‬ महादेव मंदिर भीनमाल के गौरवमय अतीत

भीनमाल के गौरवमय अतीत और वर्तमान की गाथाओं के क्रम में पिछले दिनों शिवरात्रि के दिन चण्डीनाथ‬ महादेव मंदिर और 7वीं शताब्दी में बनी बावड़ी (step well) .
आज ‪‎भीनमाल‬ (Bhinmal) की इस सुविख्यात प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहर बावड़ी‬के कुछ नूतन फोटो आपके समक्ष है।

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आज ‪‎महाशिवरात्रि‬ है, भगवान् शिव और माता पार्वती के शुभ विवाह का पवित्र दिन। आज बात करते है भीनमाल‬ ( Bhinmal ) के प्राचीन चंडीनाथ महादेव मन्दिर और वहा स्थित बावडी (Step Well)की ।
हमारा भीनमाल न सिर्फ शताब्दियों तक पश्चिमी भारत‬ का एक बड़ा शहर था बल्कि शिक्षा और व्यापार - अर्थ और ज्ञान, गणित और ज्योतिष‬ , खगौल और विज्ञान‬ का एक बहोत बड़ा केंद्र था। इस शहर का विस्तार 36 मील (24 कौस) की गोलाई में था। नगर में हर तरफ जलाशय, सरोवर, तालाब और बावड़ी आदि बने हुए थे जो तत्कालीन समय की जनसंख्या (लगभग 2 लाख) के जल संबंधी उपभोग के लिए काम आते थे।

 
वर्तमान भीनमाल शहर में अब भी हर प्रवेश द्वार की दिशा में इन प्राचीन जलाशयों और तालाबो की उपस्थिति उस "जाहो जलाली के इतिहास'' का स्मरण करवाती है। हालाँकि इन सभी की वर्तमान स्थिति पर्याप्त संरक्षण के अभाव में बड़ी दयनीय है।
भीनमाल मुख्य शहर के चण्डीनाथ‬ कॉलोनी के अंतिम छोर पर जन जन के आराध्य चंडीनाथ महादेव का मंदिर है। यह भूतल से करीब 30 से 35 फुट नीचे है। इस मंदिर परिसर में अनेक महादेव / शिवलिंग प्राचीनकाल से है। मुख्य मंदिर लगभग 6ठी और 7वीं सदी के बीच के कालक्रम में बना हुआ है। मंदिर में चण्डीनाथ ‪‎महादेव‬, माता पार्वती सहित परिसर के अनेकों शिवलिंगों (काशी विश्वनाथ, रत्नेश्वर, पशुपतिनाथ आदि) के अतिरिक्त 9वीं शताब्दी के "प्रतिमा अभिलेख" वाली एक विशाल गणेश‬ प्रतिमा -श्री ढुंढिराज गणपति इस परिसर के प्रवेश द्वार के दाईं तरफ के एक मंदिर में (बावडी के ठीक सामने) स्थापित है।
इस परिसर चंडिका देवी (जसोज भवानी) भी बना हुआ है।इसके परिसर में अनेक ऐतिहासिक शिलालेख/भग्नावेश बिखरे पड़े है जिनमे जगतस्वामी के ‪‎सूर्य‬ मंदिर के तोरण, कुछ दैवीय/अप्सरा आदि की मुर्तिया और 7वीं शताब्दी की संस्कृत‬ पाठशाला के अवशेष तथा भीनमाल की प्राचीनता और समृद्धिशाली वैभव वाले पुरातन नगर की जीवंत कथा कहती 7वीं सदी में निर्मित "चण्डीनाथ बावडी" (StepWell) भी है।
इस बावड़ी और भीनमाल के बारे में, 1611 AD में आगरा से अहमदाबाद की तरफ यात्रा कर रहे अंग्रेज यात्री निकोलस उसेलेट (जो भीनमाल की यात्रा पर भी आया था) लिखते है "24 कौस में बसे इस विशाल नगर (भीनमाल) में कईं प्राचीन हिन्दू मंदिर है, जैन और हिन्दू धर्मवलंबियो का बाहुल्य है। इस नगर में अनेक सुन्दर जलाशय बने है पर उनमे से कई बुरी स्थिति में है। इनमे से एक बावड़ी (step well) जो की 7वीं शताब्दी की है और राजा जसवंतसिंह द्वारा हाल ही में इसका पुनरुद्धार किया गया है।" (बोम्बे गजेटियर में उल्लेखित)
भारतवर्ष की प्राचीन बावड़ियों (Step well) में से एक भीनमाल में चण्डीनाथ महादेव मंदिर स्थित बावडी केे बारे में जन श्रुति है की इसके पवित्र पानी से नहाने पर चर्म रोगों से निजात मिलती है।
आज से 20-25 वर्ष पूर्व तक इस बावडी में तैराकी (swimming) और गोताखोरी सीखने वालो का ताँता लगा रहता था। अब वैसा वैभव तो नजर नहीं आता पर समृद्धिशाली इतिहास आज भी जिन्दा है।
जय शिव शंकर - जय भीनमाल
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