श्री महालक्ष्मी कमलेश्वरी माता का मंदिर भीनमाल
अपने शहर भीनमाल (Bhinmal) के इतिहास और वर्तमान की अभिनव यात्रा इस पेज के जरिये जारी है। आज बात करते है धोराढाल स्थित पुराने महालक्ष्मी मंदिर की।
भीनमाल (Bhinmal) का प्राचीन और इतिहास प्रसिद्ध नाम श्रीमाल नगर है। इस नामकरण के पीछे किवदंती यह है की यह नगर स्वयं विष्णु भार्या देवी महालक्ष्मी माताजी ने बसाया था। "श्री'' अर्थात महालक्ष्मी और "माल'' याने नगर।
भीनमाल (Bhinmal) का प्राचीन और इतिहास प्रसिद्ध नाम श्रीमाल नगर है। इस नामकरण के पीछे किवदंती यह है की यह नगर स्वयं विष्णु भार्या देवी महालक्ष्मी माताजी ने बसाया था। "श्री'' अर्थात महालक्ष्मी और "माल'' याने नगर।
भीनमाल में दो महालक्ष्मी मंदिर हैे। एक प्राचीन महालक्ष्मी -कमलेश्वरी मंदिर (धोरा-ढाल) में और दूसरा मुख्य बाजार के महालक्ष्मी मंदिर मार्ग पर महालक्ष्मी मंदिर ।
धोराढाल में बिराजित महादेवी श्री महालक्ष्मी कमलेश्वरी माता का मंदिर श्रीमाल नगर के समय का प्राचीन मंदिर माना जाता है। हालाँकि मंदिर में लगे एक ऐतिहासिक शिलालेख के अनुसार यह मंदिर विक्रम संवत 1342 में बना हुआ है (सन् 1286)। इस शिलालेख की वतर्मान स्थिति बड़ी दयनीय है (फोटो इस पोस्ट के साथ प्रकाशित है)। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के अनुसार वर्तमान मंदिर 11वीं सदी का बना हुआ है। इतिहास सरंक्षण के प्रति उदासीनता की वजह से हमारे भीनमाल के कई ऐतिहासिक महत्त्व के स्थान इतिहासवेत्ताओं के लिए आकर्षण नहीं बनते।
इस मंदिर में जो महालक्ष्मी माताजी है वो हिन्दू धर्म के अनुसार देवी लक्ष्मी का गज-लक्ष्मी रूप है। मूल प्रतिमा के चहु और गज याने हाथी जलाभिषेक कराते हुए है। इन्हें महालक्ष्मी - कमलेश्वरी देवी कहा जाता है। हिन्दू धर्मावलंबियो में श्रीमाली ब्राह्मणसमाज के कई गौत्रों की यह कुलदेवी भी है (मूल स्थान)।
इस मंदिर परिसर में कुछ ऐतिहासिक भग्नावेश और पुरातन प्रतिमाऐं भी यो ही पड़ी हुई है। जिनमे शेषनाग पर सोये भगवान् विष्णु -लक्ष्मी सहित और शिवलिंग आदि मुख्य है। इतिहास संरक्षण के प्रति उदासीनता की जीती जागती कहानी कहती बेतरतीब पड़ी इन प्रतिमाओं का एक फोटो इस पोस्ट के साथ प्रकाशित है।
------------------------
LIKE और SHARE कीजिए देवी महालक्ष्मी की कृपा आप सभी पर सदैव बरसती रहे । यही सदिच्छा 👉
👉
Comments
Post a Comment