पंचायत चुनावी

पंचायत चुनावी आहट तेज हो चली है, ऐसे में हर कोई नई सांठ गांठ बनाने को तैयार है। एक सितंबर से पंचायतों की पुनर्गठन और परिसीमन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी जो 27 अक्टूबर तक पूरी होगी। इसके बाद नवंबर में क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत का परिसीमन और पुनर्गठन कर लिया जाएगा।

 ऐसे में पंचायत चुनाव को लेकर गांव-गांव में सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इन सबके बीच कई उम्मीदवार चुनाव लड़ने से संबंधित योग्यताओं को लेकर असमंजस की स्थिति में थे। जिसका निदान अब हो चुका है।

जनसंख्या नियंत्रण को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा बड़ा फैसला लिया गया है। राज्य सरकार पंचायत में दो से अधिक बच्चों वालों के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है।


अब 25 जुलाई 2019 के बाद तीसरा बच्चा पैदा होने पर ग्राम प्रधान का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। जिला पंचायत राज अधिकारी आरसी त्रिपाठी ने खुद इसकी जानकारी दी है। इसके अलावा उन्होंने उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता को लेकर भी स्थिति साफ कर दी है।

जिला पंचायत राज अधिकारी आरसी त्रिपाठी ने बताया कि क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत सदस्य को लेकर हाईकोर्ट ने कानून पर कोई निर्णय नहीं दिया है, इसलिए इनमें दो बच्चों से अधिक होने वालों के चुनाव लड़ने पर रोक रहेगी, बच्चे चाहे कभी भी पैदा हुए हों। इसके अलावा सामान्य व अन्य पिछड़ा वर्ग के पुरुष को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ने के लिए कम से कम दसवीं पास होना जरूरी होगा, जबकि किसी भी वर्ग की महिला के साथ ही अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के ग्रामीणों के लिए शैक्षिक योग्यता आठवीं पास निर्धारित की गई है।

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