देश के इतिहास में 73 साल बाद पहली बार वित्तीय आपातकाल लगाने की तैयारी
भारत में वित्तीय आपातकाल लागू होने की संभावनाएं बन गई हैं? सुप्रीम कोर्ट में सेंट्रल फार अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमैटिक चेंज (सीएएससी) ने 26 मार्च को एक याचिका दायर की है. जिसमें मांग की गई है कि कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए देशभर में वित्तीय आपातकाल घोषित किया जाना चाहिए. वर्तमान केंद्र सरकार अपने बहुत सारे निर्णय,सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से पिछले वर्षों में कराने के लिए जानी जाती है.
इस याचिका के दायर होने के बाद यह माना जा रहा है,कि जल्द ही देश में आर्थिक आपातकाल घोषित किया जा सकता है. केंद्र सरकार को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल के प्रावधान लागू करने के अधिकार हैं.
अनुच्छेद 360 के अंतर्गत यदि आपातकाल लागू किया जाता है इसमें केंद्र सरकार (Government) और राज्य सरकारों के कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में कमी करने के अधिकार मिल जाते हैं. इसमें उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश (judge) भी शामिल होते हैं. केंद्र को वित्तीय मामले में इससे भारी राहत मिलती है.सभी राज्यों के वेतन भत्तों और पेंशन को रोका या कम किया जा सकता है. 2,019-20 के लिए यह राशि लगभग 9 लाख करोड रुपए है.केंद्र के असैन्य कर्मचारियों के वेतन और भत्तों का खर्च लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपए है.
आपातकाल लागू करने पर केंद्र सरकार (Government) और राज्य सरकारों को कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में कटौती करने की छूट मिल जाएगी. अभी 11.5 लाख करोड़ रुपए सरकार (Government) को खर्च करना पड़ता है. यदि इसमें 20 फ़ीसदी की भी कमी की गई तो सरकार (Government) को 2.30 लाख करोड़ रुपए की बचत होगी. अनुच्छेद 360 के अंतर्गत वित्तीय आपातकाल लागू करने पर सरकार (Government) को वित्तीय स्वामित्व के सभी मानक लागू करने के अधिकार केंद्र एवं राज्य में मिल जाते हैं. केंद्र सरकार (Government) सभी राज्य सरकारों पर वित्तीय स्वामित्व लागू कर सकता है. राज्यों के बजट भी केंद्र सरकार (Government) को पारित करने के अधिकार मिल जाते हैं. पिछले 73 सालों में किसी भी सरकार (Government) ने वित्तीय आपातकाल लागू नहीं किया है. अभी तक तीन आपातकाल भारत में लागू किए गए हैं.
जिनमें 1962 के चीन युद्ध के समय,1971 में पाकिस्तान के युद्ध के समय तथा 1975 में आंतरिक गड़बड़ी का हवाला देकर राष्ट्रीय आपातकाल, संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत लगाया गया था.आपातकाल लागू होने पर अनुच्छेद 20 और अनुच्छेद 21 जिसमें अपराधों में दी गई सजा और जीवन का अधिकार छोड़कर,सभी मौलिक अधिकार नागरिकों के निलंबित हो जाते हैं. यदि आपातकाल लागू हुआ तो नागरिकों के मौलिक अधिकार खत्म होंगे. केंद्र सरकार (Government) को राज्य सरकारों पर अपने वित्तीय निर्णयों को लागू कराने का अधिकार मिल जाएगा. कोई राज्य सरकार (Government) (State government) यदि इसका विरोध करेगी.ऐसी स्थिति में अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राज्यों की सरकार (Government) को बर्खास्त कर केंद्र सरकार (Government) वहां की सत्ता अपने हाथ में ले सकती है. राज्य सरकारों के बजट भी केंद्र सरकार (Government) पास कर सकती है.अभी हाल ही में केंद्र सरकार (Government) ने जम्मू कश्मीर का बजट संसद के दोनों सदनों से पास कराया है.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) वर्तमान स्थिति में सरकार (Government) के साथ सहयोग करते हुए फैसला करने के लिए जानी जा रही है. ऐसी स्थिति में सेंटर फार अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमैटिक चेंज की यह याचिका, यह बता रही है कि जल्द ही देश में वित्तीय आपातकाल लागू किया जा सकता है. शेयर बाजार में भी इस बात की चर्चा होने लगी है, कि जल्द ही वित्तीय आपातकाल लागू होगा. बाजार को सरकार (Government) प्रोत्साहन पैकेज देगी. 73 साल के इतिहास में पहली बार देश वित्तीय आपातकाल की ओर बढ़ रहा है.
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