सामाजिक न्याय और अंत्योदय के विचारों पर बढ़ती मोदी सरकार
सामाजिक न्याय और अंत्योदय का विचार भारत के मूल दर्शन का विचार है, जो सालों से भारत के चिंतन का केंद्र रहा है. जब-जब भारत के मूल चिंतन को भारत के समाज ने खंडित होते देखा तब-तब समाज के भीतर से ही एक विद्रोही स्वर निकल कर सामने आए. इनमें महात्मा बुद्ध, कबीर, रविदास जैसे नाम हैं, जिन्होंने समाज में व्याप्त असमानता को दूर कर प्रेम नगर और बेगमपुरा जैसे नगरों को बसाने की बात की. वहीं, महादेव गोविंद रानाडे और ज्योतिबा फुले आते हैं जो समाज में व्याप्त जातीय सर्वोच्चता के खिलाफ एक मुहिम चलाते हैं और साथ ही एक विकल्प स्वरूप “सत्यर्थी धर्म” को समाज के सामने लेकर भी आते हैं.
महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव आंबेडकर जी के द्वारा भी समाज के बदलाव का प्रयास किया जाता है. महाराष्ट्र में ही 1925 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार को द्वारा की जाती है. ये संगठन उस समय की इसलिए बड़ी घटना थी क्योंकि एक ओर गांधी और कांग्रेस के नेता देश की आज़ादी और सामाजिक सुधार को एक साथ नहीं चल सकने वाला विचार मानते थे, वहीं अम्बेडकर जी सामाजिक सुधार के विचार को पहली प्राथमिकता देते थे जिससे देश के करोड़ों दलित अछूत जन भी देश के स्वतंत्रता के बाद अपने को सभी के समान मान सकें.
सामाजिक सुधार के मायने
संघ ने भारत के विचार को माना, ये विचार समता और बंधुत्व के विचार पर टिका था. इसमें स्वतंत्रता के साथ सामाजिक सुधार को भी उतना ही महत्व दिया जाता था. इसके तहत माना जाता है कि भारत के प्रत्येक व्यक्ति के मानस में ये विचार हो कि मुझे मेरे देश के लिए खड़ा होना और लड़ना है, ये देश मेरा है, मैं इस देश के लिए हूँ और मेरा जन्म ही इस पुण्य भूमि के लिए हुआ है. इस विचार के अनुसार जन मानस में ऐसी भावना होनी चाहिए कि समाज में व्याप्त कितनी भी विभिन्नता क्यों ना हो पर हम सब एक हैं, सभी सहोदर हैं, एक ही परिवार हैं, कोई बड़ा और छोटा नहीं है, हम सभी बंधुभाव से साथ- साथ चलने वाले हैं.
इसी बंधुभाव के विचार ने आज संघ को दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बना दिया है. इसी विचार से निकला जनसंघ. इसके संस्थापक देश के स्वतंत्रता संग्रामी और प्रथम उद्योग मंत्री श्यामाप्रसाद मुखर्जी थे. पिताम्बर दास, अटल बिहारी वाजपेयी, दीनदयाल उपाध्याय, नाना जी देशमुख, रामस्वरूप विद्यार्थी, सूरजभान, कलका दास जी आदि इससे बड़े नेता और सांसद बने.
बीजेपी की स्थापना पर इस दलित नेता ने किया था भूमि पूजन
जनसंघ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों को अपना प्रेरणाबिंदु मानता था, संघ का विचार इस देश का मूल देशज विचार ही था, इस विचार में व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र, अखंड विश्व की कल्पना एक कुटुम्ब के रूप में की गई है, सभी के कल्याण का विचार जिसमें निहित है. जहाँ बुद्ध और बाबा साहब आंबेडकर ने समतामूलक समाज की स्थपाना का विचार दिया, तो वहीं महात्मा गांधी के ग्रामसुराज की संकल्पना भी निहित थी. ये ही जनसंघ 1980 में मुंबई में भारतीय जनता पार्टी के रूप में हमारे सामने आती है.
1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना मुंबई के अधिवेशन के निमित्त संकल्पित “समता नगर” में मुंबई के बड़े दलित नेता और पार्टी के मुंबई सचिव “दत्ता जी राव शिंदे” के द्वारा भूमि-पूजन से की गई. जिस पार्टी की स्थपाना समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के कर-कमलों द्वारा भूमि-पूजन से प्रारम्भ हो उस दल का क्या उदेशय हो सकता है, ये सहज ही ज्ञात हो जाता है. इसीलिए राम स्वरूप विद्यार्थी, कलका दास, सूरज भान, सत्यनारायण जटिया, स्वरूप चाँद राजन जी जैसे दलित नेता पार्टी के बनते ही राष्ट्रीय फलक पर उभर कर आते हैं.
पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी ने उठाई थी बाबा साहब को भारत रत्न देने की आवाज
1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी ने अपनी स्थापना से ही ये तय कर लिया की समाज में व्याप्त असमानता और वैमनस्यता के भाव को मिटा कर समाज में सभी के लिए समान अवसर प्रदान करना है ताकि सब साथ - साथ चल सकें. इसीलिए अगर हम देखें की बाबा साहब आंबेडकर का तैलीय चित्र संसद के मुख्य कक्ष में लगे तथा उन्हें भारत रत्न मिले, इसके लिए मुखर आवाज़ को बुलंद करने का कार्य किसी और ने नहीं बल्कि सन 1978 में अटल बिहारी वाजपेयी ने ही किया. वहीं 1990 में बाबा साहब की आदमकद मूर्ति, संसद परिसर में लगे इस माँग का समर्थन भी भाजपा के सभी नेताओं ने एक स्वर में किया.
इसी प्रकार भाजपा की सरकार ने ही दलितों को मिलने वाली आर्थिक सहायता, छोटे काम धंधे, कारोबार हेतु खोलने में पहले से चल रहे उस नियम को हटाने का काम किया जिसमें वो बकरी और सुअर ही पाल सकते थे. सरकार ने दलितों को पैसा दिया और कहा आप स्वेच्छा के अनुसार कोई भी काम करें.
भाजपा की पहली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में समाज के आरक्षित वर्गों के लिए बैकलॉग नौकरियों को पहली बार भरा गया. सूरजपाल, कल्याण सिंह जैसे नेताओं को सक्रिय राजनीति में बड़े पदों पर आसीन किया गया. इसी समय सरकार ने सरकारी नौकरियों में सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो, इस दृष्टि से 200 प्वाइंट रोस्टर को लगाने का काम किया. पदोन्नती में आरक्षण पर अधिनयम लाकर उसे लागू करने का काम भी भाजपा की सरकार ने ही किया, परंतु भाजपा सरकार के जाने के बाद उसे अगली सरकारें ठीक से लागू नहीं कर पाईं. समाज के हर व्यक्ति की चिंता करने की मानसिकता के कारण आज की वर्तमान सरकार ने भी समाज में सभी का विकास हो इस दृष्टि से बहुत से जनकल्याणकारी कार्यक्रमों का संचालन किया.
बाबा साहब आंबेडकर के इस सपने को मोदी सरकार ने किया पूरा
आज की मोदी सरकार ने अनुसूचित जाति जनजाति के लिए चलने वाली विभिन्न योजनाओं के लिए अब तक की सबसे ज्यादा राशि को आवंटित किया, जिसकी राशि 1,2600 करोड़ रुपए है. सरकार से मुद्रा बैंक योजना के द्वारा 8 करोड़ से ज्यादा ऋण (लोन) राशि केवल अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों ने लिया है. इसको लेकर इस वर्ग के लोगों ने विभिन्न प्रकार की औद्योगिक इकाइयों का संचालन किया. इस योजना में बाबा साहब आंबेडकर के उस सपने को भी साकार किया जो उन्होंने 1918 साउथ बोरो कमेटी के समक्ष प्रस्तुत अपने प्रतिवेदन में की थी.
बाबा साहब चाहते थे की दलित उद्यमियों की एक बड़ी फौज खड़ी हो. इस मंशा को सरकार ने मुद्रा और स्टार्ट-अप इंडिया के माध्यम से पूरा करने का काम किया है. इसमें सबसे बड़ी बात हैं 50000 की राशि से लेकर 1 करोड़ तक की राशि अनुसूचित जाति जनजाति ने ली है.
इसी प्रकार से प्रधानमंत्री के द्वारा “स्वच्छ भारत अभियान” से ग्रामीण भारत में सम्मान और अपमान की एक परिचर्चा प्रारंभ हुई हैं, आज घर में शौचालय होना सम्मान का प्रतीक बनता जा रहा है. आए दिन शादी और शौचालय को लेकर विभिन्न रिपोर्ट छपती रहती हैं. स्वच्छ भारत अभियान क्या मात्र घरों में इज्जतघर (शौचालय) बनाने मात्र से जुड़ा है? बस इतनी-सी बात है, ऐसा नहीं बल्कि ये अभियान स्वस्थ्य पर्यावरण के साथ जुड़ा है, ग्रामीण भारत में बीमारी का बड़ा कारण शौच के लिए बाहर जाना है और मक्खियों के द्वारा होने वाली ज्यादातर बीमारियों में काफी कमी आई है. अभी तक सरकार ने 9 करोड़ शौचालयों का निर्माण कर दिया है, जो सफलता के काफी नजदीक है.
मोदी सरकार ने दिया बाबा साहेब को सम्मान
उज्जवला योजना जिसमें घर की महिलाओ को मुफ़्त गैस देने की योजना का प्रावधान किया गया, क्या इसका लाभ केवल सामान्य वर्गों ने लिया है? ऐसा बिलकुल नहीं है. इसमें अधिकतर लाभार्थी दलित, पिछड़े समाज के लोग ही हैं, इस योजना का लाभ देश के 7 करोड़ लोगों ने लिया है. इसी प्रकार 50 करोड़ लोगों ने “आयुषमान भारत” योजना के तहत अपना निःशुल्क इलाज कराया है, ये योजना दुनिया की सबसे बड़ी योजना है, जिसमें प्रत्येक परिवार को 5 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा दिया गया है.
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत लगभग 2 करोड़ ग़रीबों को पक्के घर बना कर दे दिए गए हैं. 33 करोड़ जनधन बैंक खाते खोल कर सरकारी योजनाओं में होने वाले भ्रष्टाचार को रोकने का काम किया है “लाभ सीधे लाभार्थी के खाते में” क्या इसमें दलित, वांचित, अनुसूचित जाति जनजाति नहीं है? गाँवों में बैंक खाते ना होने के कारण नरेगा में कितना भ्रष्टाचार होता था क्या किसी से छुपा है.
आज लगभग सभी गाँव बिजली से युक्त हो गए हैं, जो वर्षों से अंधेरे में थे. बाबा साहब आंबेडकर को लेकर उनसे देश प्रेरणा ले सके इस निमित पाँच तीर्थ बनाने का काम किया, जिसमें बाबा साहब से जुड़े सभी स्थानों को सरकार के द्वारा निर्मित करने का काम किया, वही दिल्ली में डॉ आंबेडकर अंतर्रष्ट्रीय केंद्र भी बनाया गया, जो दिल्ली में बाबा साहब को जानने और समझने का मुख्य केंद्र बनेगा ऐसा सरकार का उदेश्य है. बाबा साहब आंबेडकर का सविधान निर्माण में क्या योगदान रहा? इसको जानने के लिए 26 नवम्बर को संविधान दिवस को सरकार ने मनाने का काम किया. भीम ऐप के माध्यम से आर्थिक लेनदेन को प्रारम्भ करके बाबा साहब आंबेडकर को सभी स्मरण कर सकें ऐसा प्रयास किया.
सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करेगी बीजेपी
वैसे तो बाबा साहब को दलितों का ही नेता माना गया था. वर्तमान मोदी सरकार ने बाबा साहब को राष्ट्रनिर्माता बाबा साहब अम्बेडकर बनाने का कार्य किया. सालों से पिछड़े वर्ग की माँग थी कि पिछड़े आयोग को अनुसूचित जाति, जनजाति की भाँति ही शक्ति दी जाए, वर्तमान की मोदी सरकार ने इस कार्य को भी किया और आज पिछड़ा आयोग अधिक शक्तिशाली हुआ है जो सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका को निभाएगा. हाल ही में देश के न्यायलयों के द्वारा कुछ मामलों में समाज के अनुसूचित वर्गों के लिए अन्यायकारी निर्णयों को दिया गया.
उसको वापस करने और उस पर अध्यदेश ला कर क़ानून बनाने का कार्य सरकार ने किया. सरकार “अनुसूचित जाति उत्पीड़न क़ानून” का अधिक मज़बूत और सशक्त किया है. विश्वविद्यालयों में 200 प्वाइंट रोस्टर को कोर्ट के द्वारा रद्द करने की स्थिति में सरकार ने अध्यदेश के माध्यम से उसे पुनः लागू करने का काम किया ये भी याद करने की बात है. 200 प्वाइंट रोस्टर अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार ही लेकर आइ थी, सरकार ने माना की इस आरक्षण नीति से सभी वर्गों को लाभ पहुँचता है.
इसीलिए जिस मंत्र को लेकर संघ चला उस विचार को फलीभूत करने का कार्य जनसंघ से लेकर आज की वर्तमान भाजपा और सरकार कर रही है. सबका साथ, सबका विकास ये मंत्र लेकर समाज में अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को विकास की योजना के केंद्र में रखने वाली नीति पर सरकार ने कार्य किया है. ये ही विचार भारत का विचार है, जिसमें सभी को साथ लेकर चलना और उनका विकास करना शामिल है.
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