दासपां जीएसएस का सह व्यवस्थापक तीन साल तक हड़पता रहा किसानों के क्लेम व ऋण माफी की राशि, अब हुआ खुलासा

किसान जवानाराम पुत्र सोनाराम चौधरी ने बताया कि मेरे पास माता व मेरे नाम की 24 बीघा जमीन है। माता के नाम के पांच हजार रुपए एक बार आए थे। डायरी मांगीलाल खुद के पास ही रखता था। क्या किया पता नहीं, अब बात की तो दो हजार रुपए ऑनलाइन आए है। सरकार ने जो फायदा दिया, वह हमें नहीं मिला। 

किसानों की डायरियां भी रखी कब्जे में 

खेती में नुकसान होने पर किसानों को मिलने वाली राशि सहकारी समितियों के व्यवस्थापकों की ओर से किस प्रकार से हड़पी जा रही है, इसका एक नमूना दासपां ग्राम सेवा सहकारी समिति के सहव्यवस्थापक की ओर से की गई करतूत के रूप में सामने आया है। दरअसल, दासपां जीएसएस के सहव्यवस्थापक ने न केवल किसानों की डायरियों को ही कब्जे में रखा, बल्कि जब-जब क्लेम जारी हुआ तो नाम मात्र की राशि कभी किसानों को दी और शेष खुद ही हड़प ली। कई किसानों को तो राशि भी नहीं दी गई। इतना ही नहीं कई किसानों को तो नुकसान पहुंचाने के लिए उसकी लोन की लिमिट भी कम कर दी और क्लेम व ऋण माफी में भी भूमि पैमाना भी बदल दिया। जागरूकता के अभाव में किसान भी चुप बैठे रहे, लेकिन जब इसी जीएसएस के सदस्य किसान जो कि अन्य किसी समिति में व्यवस्थापक है, उन्होंने खुद के साथ हुई धोखाधड़ी को उजागर किया तो अब शेष किसानों ने भी आवाज उठाई है। इस संबंध में अब किसानों ने उच्चाधिकारियों को भी शिकायत पेश की है, लेकिन राजनैतिक दबाव में अभी तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई है। 

किसानों को मिले क्लेम में से मनमर्जी से दबाता गया राशि, भनक लगी तो डायरियों में की हेराफेरी 
तीन सालों में किसानों के साथ की धोखाधड़ी 
दरअसल, दासपां जीएसएस में वर्ष 2010 में व्यवस्थापक हरिराम बिश्नोई को हटाकर जोगाऊ जीएसएस के व्यवस्था जैसाराम को अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया गया था, उन्होंने सहायक व्यवस्थापक मांगीलाल को दासपां जीएसएस का संपूर्ण कार्यभार सौंप दिया। उसके बाद मांगीलाल ने वर्ष-2014, 15, 16 में किसानों के आए क्लेम, मुआवजा में गड़बडिय़ा करनी शुरू कर दी। सह व्यवस्थापक ने कई किसानों को क्लेम पूरा नहीं दिया गया। जिन किसानों को बीस हजार रुपए का क्लेम जारी हुआ, उन्हें पांच हजार रुपए दिया। कुछ को कम तो कुछ को थोड़ा अधिक देकर हेरफेर करता रहा। किसानों को इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होने के कारण वे भी समझ नहीं पा रहे थे। जिन किसानों को ऋण माफी में फायदा मिलने वाला था, उनके रिकार्ड में भूमि अधिक दर्शाकर उन्हें वंचित रखने का प्रयास किया गया। सबसे बड़ी बात तो यह रही कि इन सब गड़बडिय़ों को छिपाने के लिए 2011 से अक्टूबर 2018 तक एक बार भी संस्था की आमसभा नहीं बुलाई। 

इस तरह से सामने आई गड़बडिय़ां 
दरअसल, दासपां समिति के सदस्य किसान मानसिंह जो कि अन्य एक समिति में व्यवस्थापक है, उनकी मूल जमीन 5.33 हैक्टेयर है, लेकिन सहव्यवस्थापक मांगीलाल ने क्लेम सूची में उसकी जमीन को 3.33 हैक्टेयर ही दर्शाया। जिससे उसे क्लेम में बड़ा नुकसान हुआ। इसी के साथ वर्ष 2016 में जारी क्लेम कई किसानों को एक रुपए भी जारी नहीं किया गया। जब अब इस बारे में मामला उजागर किया गया तो मांगीलाल ने डायरियों में कांटछांट कर कुछ राशि दर्शा दी, लेकिन किसानों का कहना है कि उन्हें इस संबंध में एक रुपया भी नहीं दिया गया है। जब किसानों ने अब उच्चाधिकारियों को शिकायत की तो सहव्यवस्थापक ने डायरियों में कांटछांट कर राशि जमा दर्शाने का काम शुरू कर दिया। 

किसान बोले-डायरियों में क्या किया हमें भी पता नहीं 

jay jay rajasthsn

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