बारिश के इंतजार में 'कातरा' (लट) आ गया, खेतों में मची तबाही

 जालोर. बारिश की सीजन शुरू होते ही किसानों ने खेत तैयार कर बुवाई तक कर दी। अब सिंचाई के लिए अच्छी बारिश का इंतजार था, लेकिन बारिश के बदले 'कातरा' आ गया, जो खेतों में तबाही मचा रहा है। बारिश की बेरूखी झेल रहे किसानों के लिए यह बुरी खबर है। कई हैक्टेयर में बोई गई फसल कातरा लट की चपेट में आने से किसान जार-जार रोने को विवश है। बताया जा रहा है कि यह लट एक खेत को चट कर दूसरे खेत में जाती है। इस प्रवृत्ति के चलते आसपास के अन्य खेतों में भी तबाही मचने का अंदेशा बना हुआ है। समय पर रोकथाम के प्रयास नहीं होने पर किसानों के पास हाथ मलने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा।
कृषि अधिकारी बताते हैं कि मुख्यत: दलहनी फसलों पर कातरा का ज्यादा प्रकोप रहता है। इससे बचाव के उपाय भी किसानों को बता रहे हैं, लेकिन अभी तक उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही।

खेतों में खड़ी फसल को कतरा लट चट कर रही है। नारणावास इलाके की फसल लट की चपेट में है। इससे किसानों की मेहनत पर पानी फिरने के असार लग रहे हैं। क्षेत्र के नया नारणावास, नारणावास, धवला व बागरा के समीप खेतों में कातरे का प्रकोप ज्यादा देखा जा रहा है। हालांकि कृषि विभाग के अधिकारियों ने दवा का छिड़काव व भुरकाव करने की सलाह दी है, लेकिन लट की तादाद के आगे यह नाकाफी साबित हो रहा है। अधिकारियों ने बताया कि मानसूनी बारिश के बाद नम मौसम में यह लट पनपती है तथा झुंड के रूप में आगे बढ़ती है, जिससे खेतों में काफी खराबा हो जाता है।

कुछ गांवों में कातरा लट के प्रकोप की सूचना मिली है। इन गांवों में किसानों को दवा का भुरकाव करने की सलाह दी है। निरीक्षण के लिए भी जा रहे हैं।


बचाव के उपाय करे...

बचाव का अभी तक एक ही तरीका सामने आया है कि कातरा लट को किसी तरह खेत में आने से रोका जाए। इसके लिए खेत के किनारे खाई खोदे जाने एवं उसमें ही कीटनाशक डालकर नष्ट करने की कवायद करने का उपाय बताया जा रहा है। खेत में जगह जगह घास व कचरा जलाने से भी पतंगे आकर्षित होते हैं। यह लट बनने से पहले ही पतंगों को जला कर नष्ट करने का उपाय है। खेतों के आसपास उगे जंगली पौधें तथा खरपतवार को नष्ट करने से भी लट आगे नहीं बढ़ पाती।

खेतों में कातरा लट का आवागमन रोकना बचाव का कारगर उपाय है। इसके लिए खेत के चारों तरफ लगभग एक फीट गहरी खाई खोदनी चाहिए, इसमें क्यूनालफॉस 2 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो ग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से भूरकना चाहिए। इससे लट नष्ट हो जाती है।

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