श्री महावीर स्वामी मंदिर

हमारे शहर भीनमाल (Bhinmal) के प्राचीन जैन मंदिरों में से एक और नगर के जैन समाज/संघ की गतिविधियों का मुख्य केंद्र श्री "महावीर जी" मंदिर में बिराजित जैन धर्म के 24वे तीर्थंकर भगवान् श्री महावीर स्वामी जी की चमत्कारिक प्रतिमाजी के दर्शन कीजिये।
श्री महावीर स्वामी मंदिर, भीनमाल का इतिहास -
इस जैन मंदिर / जिनालय का निर्माण विक्रम संवत 1160 में गुर्जर नरेश कुमारपाल महाराजा ने "श्री ऋषभदेव जिनप्रसाद" के रूप में करवाया था। कालान्तर में मूल मंदिर और प्रतिमाजी के जीर्ण शीर्ण होने से विक्रम संवत 1870 में जैन संघ भीनमाल द्वारा प्रारम्भ हुए पहले जीर्णोद्वार में मूलनायक प्रभु बदल कर भगवान श्री महावीर स्वामी हुए जिनकी प्रतिष्ठा तत्कालीन जैनाचार्य जितेंद्रसूरिजी के करकमलो विक्रम संवत 1873 में हुई। फिर अनेक वर्षो बाद काल के प्रभाव से मंदिर जीर्ण हुआ। आचार्य भगवंत धनचंद्रसूरीश्वरजी, आचार्य भुपेंद्रसूरीश्वरजी और आचार्य श्री यतींद्रसूरीश्वरजी द्वारा समय समय पर दिए उपदेशानुसार स्थानीय जैन संघ ने आज से लगभग 65 वर्ष पूर्व फिर से जीर्णोद्वार प्रारम्भ करवाया और कलात्मक शिखर वाला, संगमरमर का बड़ा जिनालय का निर्माण करवाया। जिसकी प्रतिष्ठा /अंजनशलाका आज से 54 वर्ष पूर्व विक्रम संवत 2018 (सन् 1962) में तत्कालीन सौधर्म वृहत् तपगच्छ के गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय विद्याचंद्रसूरीश्वरजी म.सा. के द्वारा संपन्न हुई। वर्तमान मूलनायक प्रभु श्री महावीर स्वामीजी पद्मासन मुद्रा में बिराजित है,यह प्रतिमा बड़ी चमत्कारिक है। मुख्य शहर में स्थित सभी जैन मंदिरों में सबसे बड़े परिसर वाला मंदिर भी यही है।
इस जिनालय परिसर में भव्य अष्टापदजी का मंदिर और दादा गुरुदेव श्री राजेन्द्रसूरि जी महाराज साहेब का मंदिर तथा व्याख्यान हॉल, पाठशाला, साधू-साध्वीजी भगवन्तो के अलग अलग उपाश्रय, धर्मशाला, भोजनशाला, तीर्थ पेढ़ी एवं आयम्बिल शाला भी है।
(मंदिर जी का इतिहास एवं सूचना स्रोत : संजय दौलतराजजी बाफना )

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