भीनमाल की घोटा गैर का दृश्य
#भीनमाल (Bhinmal) शहर में होली के पर्व का परंपरा से एक विशेष महत्त्व है, समाज का हर तबका जिसे स्थानीय भाषा में "36कौम" कहा जाता है वो इस तीन दिवसीय पर्व में बिना किसी भेदभाव के सम्मिलित होता ही है।
देश भर में जहाँ होली का त्यौहार दो दिन का होता है वहीँ भीनमाल सहित लगभग पुरे जालौर जिले में होली का पर्व /त्यौहार तीन दिन का होता है। जिसमे पहले दिन होलिका दहन, दूसरे दिन गैर नृत्य (घेर)और सामाजिक मिलन, तथा तीसरे दिन धुलेरी अर्थात रंगोली होती है।
भीनमाल की होली और घोटा गैर (घेर) विशेष प्रख्यात है, प्राचीन समय से शहर के मालानियो के चौहटे से इसका आगाज होता था। जिसे इस चौहटे को बसाने वाले श्री मालाजी बाफना (करीब 150 वर्ष पूर्व) शुरुआत करते थे और शहर का हर वर्ग इसमें शामिल होता था। भीनमाल के विभिन्न चौहटे जैसे, मालानियो का चौहटा, देतरिओ का चौहटा, पीपली चौक, खारी रोड सहित कई जगह पर क्रमानुसार गैर नृत्य का आयोजन अनवरत सांस्कृतिक परम्परानुसार होता है और मैले सा माहोल दिन भर पुरे शहर में रहता है।
शहर का घंटाघर याने बड़े चौहटे पर यह गैर नृत्य हमेशा से विशेष रूप लेता है। जहाँ गैर के सामान्य सटीए (डंडिया से बड़े आकार का) की जगह "घोटा" याने बड़े और मोटे डंडे के साथ गैरिये नाचते है। इस आयोजन के दौरान पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहता है।भीनमाल की घोटा गैर अभी भी आकर्षण का केंद्र है और शहर के अपने विशेष त्यौहार के रूप में जीवंत है।
भीनमाल के गौरवशाली अतीत और वर्तमान की यात्रा इस पेज पर जारी है। भीनमाल की घोटा गैर के ताजा दृश्य/फोटो इस पोस्ट के साथ प्रकाशित है। आनंद लीजिये और भीनमाल की स्म्रतियां ताजा कीजिये।
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