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Showing posts from March, 2016

श्री बाफनावाड़ी जैन तीर्थ भीनमाल

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भीनमाल के वर्तमान और जाज्वल्यमान इतिहास की श्रंखलायें इस पेज के माध्यम से जारी है। आज बात करते है श्री "बाफना वाड़ी जैन तीर्थ" (भीनमाल)) की। भीनमाल के जैन समाज के समस्त बाफना गोत्रिय परिवार की प्रतिनिधि संस्था बाफना रिसर्च सेंटर एवं कल्चरल सोसाइटी द्वारा श्री  ‪ बाफनावाड़ी‬   ‪ जैन‬   ‪‎ तीर्थ‬  (BafnaWadi) का निर्माण सन् 2004 से 2006 के बीच में करवाया गया। लगभग 5 एकड़ क्षेत्र में फैला श्री बाफनावाड़ी जैन तीर्थ भीनमाल (Bhinmal) शहर से 5 किलोमीटर की दुरी पर शहरी कोलाहल से दूर शांत प् राकर्तिक वातावरण में मुख्य मार्ग -रानीवाड़ा रोड (भीनमाल - अहमदाबाद मार्ग) पर स्थित है। बाफनावाड़ी जैन तीर्थ की ओपचारिक स्थापना लगभग 9 वर्ष पूर्व सन् 2006 में हुई थी। इस तीर्थ के भगवान महावीर जिनालय - राजेन्द्र सुरि गुरु मंदिर आदि की प्रतिष्ठा-अंजनशालाका सौधर्म वृहत् तपगच्छिय त्रिस्तुतिक संघ के वर्तमान आचार्य श्रीमद्विजय जयानंद सुरिश्वरजी के कर-कमलो हुई थी। श्री बाफनावाड़ी तीर्थ संकुल में भीनमाल के समस्त बाफना गोत्रिय परिवारों का लगभग 200 वर्षो का इतिहास - वंशावली वृक्ष के रूप में का...

श्री महालक्ष्मी ‪‎कमलेश्वरी‬ माता का मंदिर भीनमाल

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अपने शहर भीनमाल (Bhinmal) के इतिहास और वर्तमान की अभिनव यात्रा इस पेज के जरिये जारी है। आज बात करते है धोराढाल स्थित पुराने महालक्ष्मी मंदिर की। ‪‎ भीनमाल‬  (Bhinmal) का प्राचीन और इतिहास प्रसिद्ध नाम  ‪‎ श्रीमाल‬  नगर है। इस नामकरण के पीछे किवदंती यह है की यह नगर स्वयं विष्णु भार्या देवी महालक्ष्मी माताजी ने बसाया था। "श्री'' अर्थात महालक्ष्मी और "माल'' याने नगर। भीनमाल में दो  ‪ महालक्ष्मी‬   ‪‎ मंदिर‬  हैे। एक प्राचीन महालक्ष्मी -कमलेश्वरी मंदिर (धोरा-ढाल) में और दूसरा मुख्य ब ाजार के महालक्ष्मी मंदिर मार्ग पर महालक्ष्मी मंदिर । धोराढाल में बिराजित महादेवी श्री महालक्ष्मी  ‪‎ कमलेश्वरी‬  माता का मंदिर श्रीमाल नगर के समय का प्राचीन मंदिर माना जाता है। हालाँकि मंदिर में लगे एक ऐतिहासिक ‪ ‎ शिलालेख‬  के अनुसार यह मंदिर विक्रम संवत 1342 में बना हुआ है (सन् 1286)। इस शिलालेख की वतर्मान स्थिति बड़ी दयनीय है (फोटो इस पोस्ट के साथ प्रकाशित है)। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के अनुसार वर्तमान मंदिर 11वीं सदी का बना हुआ है। इतिहास सरंक्षण के...

भीनमाल की घोटा गैर का दृश्य

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‪#‎ भीनमाल‬  (Bhinmal) शहर में होली के पर्व का परंपरा से एक विशेष महत्त्व है, समाज का हर तबका जिसे स्थानीय भाषा में " ‪ 36कौम‬ " कहा जाता है वो इस तीन दिवसीय पर्व में बिना किसी भेदभाव के सम्मिलित होता ही है। देश भर में जहाँ होली का त्यौहार दो दिन का होता है वहीँ भीनमाल सहित लगभग पुरे जालौर जिले में  ‪‎ होली‬  का पर्व /त्यौहार तीन दिन का होता है। जिसमे पहले दिन होलिका दहन, दूसरे दिन  ‪ गैर‬  नृत्य (घेर)और सामाजिक मिलन, तथा तीसरे दिन धुलेरी अर्थात रंगोली होती है। भीनमाल की होली और  ‪ घोटा‬  गैर ( ‪‎ घेर‬ ) विशेष प्रख्यात है, प्राचीन समय से शहर के मालानियो के चौहटे से इसका आगाज होता था। जिसे इस चौहटे को बसाने वाले श्री मालाजी बाफना (करीब 150 वर्ष पूर्व) शुरुआत करते थे और शहर का हर वर्ग इसमें शामिल होता था। भीनमाल के विभिन्न चौहटे जैसे, मालानियो का चौहटा, देतरिओ का चौहटा, पीपली चौक, खारी रोड सहित कई जगह पर क्रमानुसार गैर नृत्य का आयोजन अनवरत सांस्कृतिक परम्परानुसार होता है और मैले सा माहोल दिन भर पुरे शहर में रहता है। शहर का  ‪ घंटाघर‬  ...