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Showing posts from July, 2018

श्री महावीर स्वामी मंदिर

हमारे शहर भीनमाल (Bhinmal) के प्राचीन जैन मंदिरों में से एक और नगर के जैन समाज/संघ की गतिविधियों का मुख्य केंद्र श्री "महावीर जी" मंदिर में बिराजित जैन धर्म के 24वे तीर्थंकर भगवान् श्री महावीर स्वामी जी की चमत्कारिक प्रतिमाजी के दर्शन कीजिये। श्री महावीर स्वामी मंदिर, भीनमाल का इतिहास - इस जैन मंदिर / जिनालय का निर्माण विक्रम संवत 1160 में गुर्जर नरेश कुमारपाल महाराजा ने "श्री ऋषभदेव जिनप्रसाद" के रूप में करवाया था। कालान्तर में मूल मंदिर और प्रतिमाजी के जीर्ण शीर्ण होने से  विक्रम संवत 1870 में जैन संघ भीनमाल द्वारा प्रारम्भ हुए पहले जीर्णोद्वार में मूलनायक प्रभु बदल कर भगवान श्री महावीर स्वामी हुए जिनकी प्रतिष्ठा तत्कालीन जैनाचार्य जितेंद्रसूरिजी के करकमलो विक्रम संवत 1873 में हुई। फिर अनेक वर्षो बाद काल के प्रभाव से मंदिर जीर्ण हुआ। आचार्य भगवंत धनचंद्रसूरीश्वरजी, आचार्य भुपेंद्रसूरीश्वरजी और आचार्य श्री यतींद्रसूरीश्वरजी द्वारा समय समय पर दिए उपदेशानुसार स्थानीय जैन संघ ने आज से लगभग 65 वर्ष पूर्व फिर से जीर्णोद्वार प्रारम्भ करवाया और कलात्मक शिखर वाला, ...

श्री महावीर स्वामी मंदिर, भीनमाल

हमारे शहर भीनमाल (Bhinmal) के प्राचीन जैन मंदिरों में से एक और नगर के जैन समाज/संघ की गतिविधियों का मुख्य केंद्र श्री "महावीर जी" मंदिर में बिराजित जैन धर्म के 24वे तीर्थंकर भगवान् श्री महावीर स्वामी जी की चमत्कारिक प्रतिमाजी के दर्शन कीजिये। श्री महावीर स्वामी मंदिर, भीनमाल का इतिहास - इस जैन मंदिर / जिनालय का निर्माण विक्रम संवत 1160 में गुर्जर नरेश कुमारपाल महाराजा ने "श्री ऋषभदेव जिनप्रसाद" के रूप में करवाया था। कालान्तर में मूल मंदिर और प्रतिमाजी के जीर्ण शीर्ण होने से  विक्रम संवत 1870 में जैन संघ भीनमाल द्वारा प्रारम्भ हुए पहले जीर्णोद्वार में मूलनायक प्रभु बदल कर भगवान श्री महावीर स्वामी हुए जिनकी प्रतिष्ठा तत्कालीन जैनाचार्य जितेंद्रसूरिजी के करकमलो विक्रम संवत 1873 में हुई। फिर अनेक वर्षो बाद काल के प्रभाव से मंदिर जीर्ण हुआ। आचार्य भगवंत धनचंद्रसूरीश्वरजी, आचार्य भुपेंद्रसूरीश्वरजी और आचार्य श्री यतींद्रसूरीश्वरजी द्वारा समय समय पर दिए उपदेशानुसार स्थानीय जैन संघ ने आज से लगभग 65 वर्ष पूर्व फिर से जीर्णोद्वार प्रारम्भ करवाया और कलात्मक शिखर वाला, ...

भीनमाल‬ के प्राचीन वराहश्याम मंदिर

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भीनमाल (Bhinmal) के गौरवशाली अतीत और वर्तमान की यात्रा इस पेज पर जारी है। इसी क्रम में आज बात करते है  ‪ भीनमाल‬  के प्राचीन वराहश्याम मंदिर के बाहर बनी ‪  वराहश्याम‬  की पोल की। वर्तमान भीनमाल (Bhinmal) शहर के मुख्य बाजार /  ‪‎ सदरबाजार‬  के प्रवेश द्वार पर एक विशाल पोल (Gateway)बनी हुई है जिसे श्री वराहश्याम की पोल के नाम से जाना जाता है। यह पोल आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) के अनुसार 14वीं शताब्दी में बनी हुई है। "वराहश्याम की पोल' भीनमाल शहर का एक जीवंत  ‪‎ पुरातात्विक‬   स्थल है। निर्माण ‪  अभिलेख‬  /शिलालेख तो अब काल का ग्रास बन चुके है। परन्तु प्राचीनता स्वयं सिद्ध है और पुराने ज़माने की मजबूत स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना भी है यह पोल। ‪ होली‬  के त्यौहार पर इसी पोल के एक भाग में स्थापित लोक देवता ईलोजी या गल्लाजी भाट का नूतन रंगरोगन आदि परंपरा से किया जाता है। इस पोल में वराहश्याम  ‪‎ मंदिर‬  का खुला नोपतखाना भी बना हुआ है जिसमे नगाड़े आदि रखे जाते है। वराहश्याम की पोल (भीनमाल) के सभी फोटो इस पोस्ट...