श्रीमाल पुराण में वर्णित प्राचीन भीनमाल के जल स्रोतों के नाम और दिशाएं
अपने शहर भीनमाल (Bhinmal) के गौरवशाली अतीत और वर्तमान की यात्रा इस पेज पर जारी है। इसी क्रम में आज बात करते है भीनमाल के प्राचीन जल स्रोतों की। लगभग सातवीं शताब्दी तक भीनमाल (श्रीमाल, रत्नमाल, भिन्नमाल आदि नामों से उल्लेखित) पश्चिमी भारत का न सिर्फ एक बहोत बड़ा शहर था बल्कि व्यापार, शिक्षा और संस्कृति का भी एक बड़ा केंद्र था।अब यह सर्वमान्य ऐतिहासिक सत्य है। बोम्बे गजेटियर में अंग्रेज यात्री निकोलस उसलेट, श्रीमाल पुराण (स्कन्द पुराण), जैन ग्रन्थ निशीथ चूर्णी, चीनी यात्री ह ्वेनसांग के यात्रा स्म्रति दस्तावेज, गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त रचित ब्रह्मस्फुट सिद्धान्त सहित कई ग्रंथो और ऐतिहासिक दस्तावेजों में इस शहर के सामाजिक, राजनेतिक विस्तार और भौगोलिक स्थिति का वर्णन आता है। तत्कालीन समय में भीनमाल एक बहोत बड़ा शहर था अब यह सर्वमान्य ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित तथ्य है।भीनमाल शहर लगभग 36 से 64 मील तक के विस्तार के क्षेत्रफल वाला था,तो स्वाभाविक है की इतने बड़े भौगोलिक क्षेत्र वाले नगर की जनसंख्या के हिसाब से जल स्रोत भी अधिक होंगे ही।